what is the best way?
proverbs 2:7

# यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।
यूहन्ना 14:6

Jesus saith to him: I am the way, and the truth, and the life. No man cometh to the Father, but by me.
John 14:6


# वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है।
नीतिवचन 2:7

He will keep the salvation of the righteous, and protect them that walk in simplicity.
Proverbs 2:7

# 1 हे मेरे पुत्रो, पिता की शिक्षा सुनो, और समझ प्राप्त करने में मन लगाओ।
नीतिवचन 4:1
1 Hear, ye children, the instruction of a father, and attend that you may know prudence.
Proverbs 4:1
2 क्योंकि मैं ने तुम को उत्तम शिक्षा दी है; मेरी शिक्षा को न छोड़ो।
नीतिवचन 4:2
2 I will give you a good gift, forsake not my law.
Proverbs 4:2

3 देखो, मैं भी अपने पिता का पुत्र था, और माता का अकेला दुलारा था,
नीतिवचन 4:3
3 For I also was my father's son, tender and as an only son in the sight of my mother:
Proverbs 4:3
4 और मेरा पिता मुझे यह कह कर सिखाता था, कि तेरा मन मेरे वचन पर लगा रहे; तू मेरी आज्ञाओं का पालन कर, तब जीवित रहेगा।
नीतिवचन 4:4
4 And he taught me, and said: Let thy heart receive my words, keep my commandments, and thou shalt live.
Proverbs 4:4

5 बुद्धि को प्राप्त कर, समझ को भी प्राप्त कर; उन को भूल न जाना, न मेरी बातों को छोड़ना।
नीतिवचन 4:5
5 Get wisdom, get prudence: forget not, neither decline from the words of my mouth.
Proverbs 4:5
6 बुद्धि को न छोड़, वह तेरी रक्षा करेगी; उस से प्रीति रख, वह तेरा पहरा देगी।
नीतिवचन 4:6
6 Forsake her not, and she shall keep thee: love her, and she shall preserve thee.
Proverbs 4:6

7 बुद्धि श्रेष्ट है इसलिये उसकी प्राप्ति के लिये यत्न कर; जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए।
नीतिवचन 4:7
7 The beginning of wisdom, get wisdom, and with all thy possession purchase prudence.
Proverbs 4:7
8 उसकी बड़ाई कर, वह तुझ को बढ़ाएगी; जब तू उस से लिपट जाए, तब वह तेरी महिमा करेगी।
नीतिवचन 4:8
8 Take hold on her, and she shall exalt thee: thou shalt be glorified by her, when thou shalt embrace her.
Proverbs 4:8

9 वह तेरे सिर पर शोभायमान भूषण बान्धेगी; और तुझे सुन्दर मुकुट देगी॥
नीतिवचन 4:9
10 हे मेरे पुत्र, मेरी बातें सुन कर ग्रहण कर, तब तू बहुत वर्ष तक जीवित रहेगा।
नीतिवचन 4:10
11 मैं ने तुझे बुद्धि का मार्ग बताया है; और सीधाई के पथ पर चलाया है।
नीतिवचन 4:11


12 चलने में तुझे रोक टोक न होगी, और चाहे तू दौड़े, तौभी ठोकर न खाएगा।
नीतिवचन 4:12
13 शिक्षा को पकड़े रह, उसे छोड़ न दे; उसकी रक्षा कर, क्योंकि वही तेरा जीवन है।
नीतिवचन 4:13
14 दुष्टों की बाट में पांव न धरना, और न बुरे लोगों के मार्ग पर चलना।
नीतिवचन 4:14


15 उसे छोड़ दे, उसके पास से भी न चल, उसके निकट से मुड़ कर आगे बढ़ जा।
नीतिवचन 4:15
16 क्योंकि दुष्ट लोग यदि बुराई न करें, तो उन को नींद नहीं आती; और जब तक वे किसी को ठोकर न खिलाएं, तब तक उन्हें नींद नहीं मिलती।
नीतिवचन 4:16
17 वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं।
नीतिवचन 4:17


18 परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।
नीतिवचन 4:18
19 दुष्टों का मार्ग घोर अन्धकारमय है; वे नहीं जानते कि वे किस से ठोकर खाते हैं॥
नीतिवचन 4:19
20 हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर
21 इन को अपनी आंखों की ओट न होने दे; वरन अपने मन में धारण कर।
नीतिवचन 4:21


22 क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं।
नीतिवचन 4:22
23 सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।
नीतिवचन 4:23
24 टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे।
नीतिवचन 4:24


25 तेरी आंखें साम्हने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें।
नीतिवचन 4:25
26 अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें।
नीतिवचन 4:26
27 न तो दहिनी ओर मुढ़ना, और न बाईं ओर; अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले॥
नीतिवचन 4:27

# When we are bitter, angry, discontented, slanderous, gossiping, and hateful, we grieve the Holy Spirit within us, if so be that He is within us. When we sin in any form, we grieve God's Holy Spirit. For He is, after all, the "holy" Spirit, and all unholiness offends Him. His desire is to lead us in the paths of holiness and to impart to us all holiness of soul.

# PRAYER:

Take from us, Lord, all anger, bitterness, malice, and discontentment. We surrender it to you and turn from it by your grace. Let us not grieve you Holy Spirit but let us submit to the Spirit's leading, as he leads us into deeper holiness of heart and life. Amen.